उन गालियों मे एक शाम मेरा जाना हुआ !
थी वंहा भीड़ भाड़ ,था बहुत कोलाहाल !
मे वंहा ठहर गई ,फिर एक जगह नजर गई !
एक वाहन तेजी से निकल गया !
बस एक पल मे सब बदल गया !
एक लाचार गिर गया , लोगो का हुजूम लग गया !
कोई न गया उसके पास !
क्योकिं वीडींओ बना रहे थे वंहा !
किसी की जान की किसे परवाह !
यही तो है आज सिलसिला !
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