वक्त का पहिया अजब है, ये सदा चलता ही जाए,
बीत जाता है जो लम्हा, लौट कर वो फिर न आए !
भूल जाता है ज़माना, वक्त है बलवान सबसे,
भेद ये बतला गए हैं, ॠषि मुनि विद्वान कबसे,
जो कदर इसकी न करता, वक्त उसको फिर रुलाए!
बीत जाता है……
हाथ में जो आज तेरे, क्या पता कल हो न हो,
काम जो करना है तुझको, आज कर सोचे है क्यों?
छोड़ कर कल पर कहीं, बाद में ठोकर तू खाए,
बीत जाता है……..
ज़िंदगी बस कुछ पलों की, कीमती हर एक लम्हा,
पास तेरे जो है मौका, हाथ से ना उसको गँवा,
कौन जाने मौत की गोदी में कोई कब समाए!
बीत जाता है……..
त्याग दे आलस तू अपना, जोश मन में रख हमेशा,
ठान ले तू काज अपने, आज ही और अब करेगा,
वक्त की कीमत जो समझे, फिर सफलता वो है पाए!
बीत जाता है……..
देह मानव की मिली है, है बड़ी दुर्भल ये मिलनी,
ज़िंदगी अनमोल तेरी, काम आए नेक करनी,
देखकर परिश्रम तेरा, वो ख़ुदा भी मुस्कुराए!
बीत जाता है……..
डॉ सोनिया