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डॉ सोनिया गुप्ता। (विधा : गीत) (मेरा पहला प्यार | सम्मान पत्र)

वो पहला प्यार मुझको तो, बहुत ही याद आता है,

सनम तुझसे नजाने क्यूँ, अजब सा एक नाता है !

ठिठुरती सर्द रातों में, कईं घंटे बिताते थे,

तेरे आगोश में आकर, बड़े हम मुस्कुराते थे,

नहीं अब है यहाँ कोई, न कोई मुस्कुराता है !

वो…………………………………………

गरम सी चाय के प्याले, भरे करते कईं बातें,

छिपाकर इस जमाने से, हुई ढेरों मुलाकातें,

नहीं मुझको यहाँ कोई, दुबारा अब बुलाता है !

वो…………………………………………

बजाते प्रेम की बंसी, सुनाते सुरमयी नगमें,

वहीं बैठे, रचा डाली, महुब्बत से सजी नज़्में,

न कोई गीत अब लिखता, न कोई गुनगुनाता है !

वो…………………………………………

नईं किरणें दिवाकर की, नया उल्लास भरती थी

तरुण पल्लव,खिले से पुष्प,वसुधा भी महकती थी,

गये हैं आज सब बिखरे, नहीं मधुमास छाता है !

वो…………………………………………

अकेला तुम मुझे छोड़े गये हो क्यूँ बता दो ये,

यहीं फिर लौट आओगे, भरोसा तुम दिला दो ये,

तुम्हारी याद में दिल ये, बड़े आंसूं बहाता है !

वो…………………………………………

चले आओ सनम फिर से, तुम्हारी राह तकती हूँ,

यहाँ आकर, सुनहरे पल, वही फिर याद करती हूँ,

विरह का दर्द ये मुझको, बड़ा ही अब सताता है !

वो…………………………………………

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डॉ सोनिया गुप्ता

 

 

 

 

 

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