वो पहला प्यार मुझको तो, बहुत ही याद आता है,
सनम तुझसे नजाने क्यूँ, अजब सा एक नाता है !
ठिठुरती सर्द रातों में, कईं घंटे बिताते थे,
तेरे आगोश में आकर, बड़े हम मुस्कुराते थे,
नहीं अब है यहाँ कोई, न कोई मुस्कुराता है !
वो…………………………………………
गरम सी चाय के प्याले, भरे करते कईं बातें,
छिपाकर इस जमाने से, हुई ढेरों मुलाकातें,
नहीं मुझको यहाँ कोई, दुबारा अब बुलाता है !
वो…………………………………………
बजाते प्रेम की बंसी, सुनाते सुरमयी नगमें,
वहीं बैठे, रचा डाली, महुब्बत से सजी नज़्में,
न कोई गीत अब लिखता, न कोई गुनगुनाता है !
वो…………………………………………
नईं किरणें दिवाकर की, नया उल्लास भरती थी
तरुण पल्लव,खिले से पुष्प,वसुधा भी महकती थी,
गये हैं आज सब बिखरे, नहीं मधुमास छाता है !
वो…………………………………………
अकेला तुम मुझे छोड़े गये हो क्यूँ बता दो ये,
यहीं फिर लौट आओगे, भरोसा तुम दिला दो ये,
तुम्हारी याद में दिल ये, बड़े आंसूं बहाता है !
वो…………………………………………
चले आओ सनम फिर से, तुम्हारी राह तकती हूँ,
यहाँ आकर, सुनहरे पल, वही फिर याद करती हूँ,
विरह का दर्द ये मुझको, बड़ा ही अब सताता है !
वो…………………………………………
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डॉ सोनिया गुप्ता
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