मैं भारत की जमीं से हूँ, मुझे तो नाज़ है इसका,
तिरंगा वो लहरता सा बना सरताज है इसका !
नजाने धर्म हैं कितने, नजाने ग्रन्थ हैं कितने,
मिलें भाषाएँ कितनी ही, नजाने भेस हैं कितने,
मगर फिर भी रहें सब एक, ये ही राज़ है इसका !
मैं भारत की…………………………………………….
मिलें हैं धाम कितने हीं, बहें नदियाँ यहाँ पावन,
कहीं सहरा दहकता सा, कहीं खिलता हुआ मधुबन,
कहाता ‘सोन चिड़िया’ ये, अलग अंदाज़ है इसका !
मैं भारत की…………………………………………….
यहाँ के वीर रण में जा, कटा देते हैं सिर अपना,
सदा फलता रहे ये देश, देखें बस यही सपना,
न पूछो आदमी हर इक लगे जांबाज़ है इसका !
मैं भारत की…………………………………………….
शहीदों की अभी भी सब यहाँ जयकार करते हैं,
बड़े छोटे सभी इक दूसरे से प्यार करते हैं,
मुहब्बत गीत है इसका, इबादत साज है इसका !
मैं भारत की…………………………………………….
*******************************************
डॉ सोनिया गुप्ता
How useful was this post?
Click on a star to rate it!
Average rating 0 / 5. Vote count: 0
No votes so far! Be the first to rate this post.