हमारा हाथ पकड़े वो, हमें चलना सिखाता है
भुलाकर गम सभी अपने, हमें हर पल हँसाता है |
मिले है नाम उससे ही, मिले पहचान उससे ही
जगत के रूप से अवगत, पिता ही तो कराता है |
दिखावा वो करे हर पल, लगाए डांट जब हमको
भला चाहे हमारा वो, तभी बन सख्त जाता है |
करें हम ख्वाहिशें कोई, सभी पूरी पिता करता
पसीना वो बहा खुद का, हमें हर सुख दिलाता है |
किसी भी हाल में हम पर नहीं वो आंच आने दे
तुफ़ानी मुश्किलों से वो हमें हर पल बचाता है |
हमीं में खोजता जीवन, हमीं से आशियाँ उसका
हमीं को नैन में भर कर, नये सपने सजाता है |
सभी गुनगान करते हैं, जगत में सिर्फ माता का
पिता करता समर्पण जो, नहीं क्यूं याद आता है |
नहीं कोई समझ सकता, पिता का मोल क्या जग में
वही जाने इसे शायद , पिता जब दूर जाता है |
कभी सोचो जरा कैसे बदलता है जमाना ये
सफ़लता के शिखर पर चढ़, पिता को भूल जाता है |
अरे अब भी समझ लो जिन्दगी में क्या जगह इसकी
वही है भाग्यशाली जो, पिता का नाम पाता है |
पिता है ईश से बढ़कर, दुखाना तुम न दिल उसका
पिता जीवन तुम्हारा है, पिता ही तो विधाता है |
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डाॅ सोनिया/
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