*आई हो तो रूक के जाना।*
देर लगी आने मे तुमको ,लेकिन तुम आई तो
व्याकुल मन था,व्याकुल तन था,व्याकुल थी इस धरा की मिट्टी
देर लगी आने मे तुमको ,लेकिन तुम आई तो
अब आई हो तो रूक के जाना,धरा की प्यास बुझा के जाना
सर, सरोवर,तरँगिनी सबको था तुम्हारा इंतजार
अब न रूकना जम के बरसना कर जाना इस अवनी का उद्धार
तुझ पर है ये वसुधा निर्भर ,तुझको गिरना होगा झर झर
मानव हो या वन्य जीव तेरे बिन सब हैं निर्जीव
इनको जीवन देकर जाना,अब आई हो तो रुक के जाना
अब आई हो तो रूक के जाना।