है जीवन का पर्याय यहां पर,
ऐसा किसलय परिवार।
जिसका सुपरिचय दे रहा,
अमृत कलश संसार॥
“गिरिजा” प्रेम की धुरी,
“इंदु” हैं संसार।
“अश्विनी” हैं जीत के पर्याय,
अनुग्रह खातिर “अनीता” हर पल तैयार।
विशाल हृदय “विराट” का,
जिस पर “रम्भा” रहे सवार।
विनती कर “विनीत” से,
“छाया” की प्रतिछाया करे दुलार।
“आर्यन” सुधा चरित है,
“वेदांत” करे वेदों का व्यापार।
शुभ मंगल शुभ उत्सव में
सदा खुश रहे ये मेरा प्यारा परिवार।