Generic selectors
Exact matches only
Search in title
Search in content
Post Type Selectors

अरुणा शर्मा। (UBI भीगी पलकें प्रतियोगिता | सहभागिता प्रमाण पत्र )

ठंडी पवन का झोंका आया।

दूर कहीं बरखा का सन्देशा लाया।

बोली सजनी बादलों से,सुन मेघा,उस गाँव जा।

मेरे सजन रहते हैं, जहाँ, उस गाँव में ज़रा बरस कर आ।

तेरे पास जो ना हो पानी,मेरी भीगी पलकों से तू ले जा।

पर तू जा,मैं अरज करूँ,मेरा सन्देशा,उन्हें दे आ।

कहना उनसे,अब बहुत हुआ,घर में भी है,पड़ी रोटी।

सोने-चाँदी का क्या मैं करूँ,तुम बिन जब भाए ना रोटी।

कहना ये मैं ना बरसा हूँ,बरसी हैं, वो भीगी पलकें।

छोड़ जिसे तुम आये हो,तकती है राह,वो भीगी पलकें।

*********************************************

गरमी में रेत,उगलती आग।वहीं कहीं बर्फ़ में जमे,शरीर के सारे भाग।

एक माँ नेदेखो,लगाई पुकार,तू बन कर डाकिया,रे काग!!

मेरे बच्चे को सन्देशा दे आ!

कहना जो बर्फ़ पिघलाये तुझे,या रेत कहीं झुलसाए तुझे।

अपने लक्ष्य पर फिर भी तू,ऐ मेरे लाल डटे रहना।

सर्दी,गर्मी या हो बरखा,तू माँ(देश)के लिए खड़े रहना।

भले है कलेजा माँ का मेरा,रहती हैं सदा पलकें भीगीं।

पर जो तू पीठ दिखा आया,तो रहेंगी ना ये पलकें भीगीं।

इनका पानी ना मरने देना,दे देना भले अपनी जवानी।

उस माँ के लिए, इस माँ की रखना तू याद,सदा ये कुर्बानी।

एक हो या हो सौ बेटे,ममता दे सकती है, कुर्बानी।

तू लाज रखेगा जो माँ(देश)की,तो अमर होगी तेरी जवानी।

सदियों तक,सुन बच्चे मेरे,तेरे लिए सबकी ही सदा रहेंगी ये भीगी पलकें।

************************************************

नन्ही सी कली जिस दिन थी खिली,खुशियों से भीगी सबकी पलकें।

देख-देख सूरत वो प्यारी,एक पल ना झपकती थी पलकें।

दिन बीते,महीनेबीते,बीत गए कई साल,प्यारी वो कली ससुराल चली।

माँ के आँगन में बस वो अब,मीठी सी यादें छोड़ चली।

जब-जब याद वो आ जाए, सबकी पलकें फिर भिगो जाए।

इन कलियों को दो प्यार इतना,पलकों में रहे पानी जितना।

भर देती है, आशीषें ये,जब भी उठाती हैं हाथ अपना।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

Leave a Comment

×

Hello!

Click on our representatives below to chat on WhatsApp or send us an email to ubi.unitedbyink@gmail.com

× How can I help you?