विधा- थ्रीलाइनर
सबसे सुना था
तो जाने पहचाने से लगे
इश़्क! पहली नज़र में, हमें दीवाने! से लगे
पहले पहल, मैैंनें ही उठाई थी पहल
बात दिल की, जब की उससे
एक विचार उसके मेरे, एक ख़्याल से जगे
मिलना जुलना इस कदर बढ़ता गया
उसका पता, मेरा पता
किसी से भी पूछ लो, एक तौर से लगने लगे
धीरे धीरे एक दूसरे से, हमें प्यार होने लगा
बारिश जब जब होती
तब तब प्यार और भी ज्यादा बढ़ने लगा
वो कहते है ना कि जब पानी घड़े में भर जाता है
खुद ब खुद कभी दायें कभी बायें
कभी आगे तो कभी पीछे, लहर कर गिरने लगा
साल दर साल गुज़र गये
कसमें वादें,
कहने भर के रह गये
और फिर वो दिन भी आया ज़िन्दगी में
वो बैठ रेल में,
अपने घर जाने लगा
हम मना न सके फिर उसे
लिये भीगी पलकें, हम भी
अपने घर को लौट गये
सबसे सुना था
तो जाने पहचाने से लगे
इश़्क! पहली नज़र में, हमें दीवाने! से लगे
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